Saturday, January 23, 2010

बेवफाई

दिल मेरा उसने तोड़ा है
बर्बाद करके हमे छोड़ा है

फिर भी प्यार उन्ही से करते है
एक बार नहीं सौ सौ बार कर कहते है

उन्ही से है मोहब्बत
उन्ही से है शफकत

लाख कोशिश के जो हमने ये रिश्ता जोड़ा है
दिल मेरा उसने तोडा है .......................

बेवाफा वह सही वफ़ा हम सदा करेंगे
लाख छिपने की कोशिशें कर ले वह

इश्क की बुनियाद हमने मुश्किलों से जोड़ा है
दिल मेरा उसने तोडा है .........................

Wednesday, January 20, 2010

यादें बस यादें उनकी

हम जब उनको दिल स भुलाने लगते है
और ज्यादा वोह याद आने लगते है

मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है

दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है

याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है

आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....

Saturday, January 16, 2010

ग़ज़ल

अब तो दिन ढल चूका है चले आईये
दिल धड़कने लगा है चले आईये

जाने फिर अब मुलाकात हो न हो
दिल लबों पर रुका है चले आईये

भीग कर रुक न जाए कही आज फिर
देखो बादल उठा है चले आईये

दिल परेशा है नींद आती नहीं
दीप बुझने लगा है चले आईये

दिल की दहलीज़ पर आकर रुक क्यों गए
सारा घर आपका है चले आईये

मेरे दिल में एक काँटा चुभा है "अलीम"
ख़त उन्होंने लिखा है चले आईये
जब याद तेरी तडपाये
रातों को नींद न आये

कोई दर्द समझ न पाए
आने वाले अब तो आजा

सावन बीता जाए
जब याद तेरी तडपाये

बचपन में साथ जो खेले
सब दुःख सुख मिलकर झेले

हम रह गए आज अकेले
jab से वोह परदेस गए हैं

लौट कर फिर न आये
जब तेरी याद तडपाये

जब फैली तेरी खुशबू
सूखे आँखों में आंसू

है तुझमे ऐसा जादू
मिटटी को अगर हाथ लगा दे

तो सोना बन जाए
जब याद तेरी तडपाये

बरसे तेरी ज़ुल्फ़ के बादल
दिल हो गया मेरा पागल

यूँ ढूँढू तेरा आँचल
जैसे कोई प्रेमी पानी खो जाए

जब तेरी याद तडपाये
रातों को नींद न आये

Friday, January 15, 2010

ग़ज़ल

देखते ही देखते कैसे दिल बे इख्तियार हो गया
पता ही नहीं चला कैसे उनसे प्यार हो गया

एकतरफा दिल धड़का था मेरा उनके लिए
इश्क एक जज्बा था मेरा उनके लिए

कैसे हम कहें अपनी बेकरारी का सबब उनसे
अब एक पल मेरा उनके बगैर जीना दुश्वार हो गया

देखते ही देखते कैसे दिल .............................
पता ही नहीं चला हमें .................................

मालूम है हमको खुदी स ये प्यार नहीं एक छलावा है
यह दिलों का सच्चा मिलाप नहीं बस एक दिखावा है

महबूब स मिलने दिल-इ-फनकार उनसे
बेचैनिये आगोश अब मेरा जीना मोहाल हो गया

देखते ही देखते कैसे दिल .........................
पता ही नहीं चला हमें ..........................

Monday, January 11, 2010

ग़ज़ल

एक हादसे में चल के
हम तो चले थे संभल के

फिर हो गए किसी के
हालात स फिसल के

वोह नंगे पांव आये
फिर धूप में मचल के

इनकार कैसे करते
मेहमान थे एक पल के

एक संगदिल है पिघला
उल्फत की लौ में जल के

उनका रहा हमेशा
देखा है दिल बदल के

कैसे जुदा करें हम
तुम शेर हो ग़ज़ल के ...

ग़ज़ल

मुद्दतों स चाहा तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे

मुलाकातों का सिलसिला यूँ बरकरार रहे
मोहब्बत का सुरूर यूँ परवाज़ रहे

सदा खिलखिलाती रहे तेरी खुशियों का आँगन
ऐसे ही तेरी ज़िन्दगी खुशगवार रहे

अब इश्क की पनाहों में रहना है तुम्हे
ऐसे ही सदा खिखिलाना वो मुस्कुराना है तुम्हे

मुद्दतों स चाहा है तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे

Tuesday, January 5, 2010

अल्फाज़ के झूठे बंधन मैं
राज़ के गहरे पर्दों में
हर शख्स मोहब्बत करता है
हालां के मोहब्बत कुछ भी नहीं

सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
एहसास खाली लोग यहाँ
लफ़्ज़ों के तीर चलाते है
इक बार नज़र में आ कर वो
फिर सारी उम्र रुलाते हैं
ये इश्क मोहबत मैहर -ओ -वफाये
सब कहने की बातें हैं
हर शःक्स खुदी की मस्ती में

बस अपनी खातिर जीता है …

Saturday, January 2, 2010

अशार

बहुत रोया हूँ हँसना चाहता हूँ
तेरी आँखों में बसना चाहता हूँ
दरीचे खोल दे सब अपने दिल के
बहुत बे चैन हूँ बरसना चाहता हूँ

अशार

साथ मैं तेरा उम्र भर दूंगा
प्यार ही प्यार तुझ में भर दूंगा
एक इशारा जो तेरा मिल जाए मुझको
साड़ी ज़िन्दगी तेरे नाम कर दूंगा