सियाह शब् से ताल्लुक जो सब ने तोड़ लिया
हवाओं ने भी चिरागों से मुंह मोड़ लिया
जो आसमान की उंचाईयों से बाज़ बड़ा
तो जुगनुओं को सितारे समझ के तोड़ लिया
वोह और कोई नही तितलियों का दुश्मन है
तमाम फूलों का जिसने अर्क निचोड़ लिया
वोह अपने आपको फिर कोहे कुन कहता है
ज़रा पहाड़ किसी ने जो तोड़ फोड़ लिया
जो गुडिया गुड्डे की शादी रचाई बच्चों ने
कहानियो ने वही से अजीब मोड़ लिया
फिर आशियानों का पर्सा दिया परिंदों को
हवा ने खूब दरख्तों को जब झिंझोड़ लिया
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