हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Friday, April 17, 2009
वोटर मज़हब , जात, एलाकायियत के खानों में बात चुके है (कब तक)
जम्हूरियत का बेताल aapse एक sawaal pochta की हमारे mulk का voter अपने ही वोट से ठगा महसूस करता है अपनी ही हुकूमत से shikast और अपनी kismat को kosne पर majboor क्यों है ? जो एक mudda ही bankar रह गया आम public के के लिए.......आज वोटर mazhab , zaat और elaakaaiyat में poori trah bet chuke है हर कोई neta nagri inke zameer पर इस qadar haavi है की आम janta के sochne का nazariya एकदम से khatm होने की kagaar पर khada है , हर कोई रोज़ एक नयी parti का janm होता है और वोह firke में tabdeel hokar sayasat की rudaad लिखने को tyyar khade होते है आज आम insaan को एक voting machine samjhe जाने लगा है हमारी हम अपनी nazron में gira दिए जा chuke है kyoki यह हमारा istemaal करना achchi trah से जान chuke है अगर janta का वोट bank को badhana है तो inke zazbaato से khilwaad करना avshayak है नहीं तो हमारी rajniti की dukaan न चल paane में kamyab होगी.......लेकिन कब तक......यह sochne और samajhne wali बात है ....कब हम bholi janta को bahkaane में safal हो ge यह आने वाला वक़्त ज़रूर batayega .....कब तक यह hume , mazhab , zaat और elaakayiyat तक mahdood rakhege एक दिन वक़्त का palda हमारे hath में होगा जब हम gahrai से inhe samajhne में kaamyab हो jayege inke napaak irado को bhaanp jaayege एक दिन wo zarur dekhenge ...... wo lamha दूर नहीं जब हम अपने आप में एक taakat के रूप में ubhar कर inke saamne होंगे अगर आज हमारी akl पर taala लगा है कल को यह gumnaami bhari ज़िन्दगी के mukhaute को दूर phekne हम zarur kaamyab होंगे तब हम इस dharm nirpekshya देश की taakat के zarur ubhre ge उस दिन हमारे लिए और देश के लिए savera होगा wo वक़्त bilkul भी दूर नहीं जब हम इन mazhab , zaat , और elakayiyat को दूर phekne में bilkul kamyaab होंगे .....ant में मेरा kahna इस बात का है आप इन fuzool baaton के chakkar me न aakar (mazhab, zaat) aadi आप अपने akl mend होने का सही nishaani दे taki एक नए देश और janta की हम staphna कर paane में safal और इन कुछ gande netao के maksad पर पानी फिर सके ......
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aapka swagat hai.... apki tipaddi ke liye
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