Tuesday, May 5, 2009

ग़ज़ल

जो समझते ही नही वक्त की कीमत क्या है
उनको एहसास दिलाने की ज़रूरत क्या है
तुम ही बतलाओ सरे राह ये चलते चलते
नाजो अंदाज़ दिखाने की यह आदत क्या है
बेचकर अपनी अना पूछ रहे हो हमसे
शर्म क्या है यह हया क्या है नदामत क्या है
भाई भाई का यहा हो गया दुश्मन कैसे
कोई बतलाये तो आख़िर यह सियासत क्या है
बाखुदा कोई नही पूछने वाला दिल से

4 comments:

  1. Nice, liked it! Liked all She'r. Really.
    Last she'r has missed one misra .. kindly post it ...

    God bless
    RC

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  2. Please remove word verification.

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  3. sorry which kind of word u were talking about RC ji...will u plzz clear tht?

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  4. खुबसूरत ग़ज़ल है !

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath