Saturday, May 16, 2009

ग़ज़ल

उदास क्यों हो उदास क्यों हो

तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो

उदास होने से फ़ायदा क्या

बताओ रोने से फ़ायदा क्या

जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो

नए रास्ते तुम निकालो

उड़ान टूटे परों में भर लो

हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो

उदास क्यों हो उदास क्यों हो

तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .

6 comments:

  1. ro rahe hai ki ek aadat hasi warna etna nahi mlaal hume.....sunder post...

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  2. बहुत अच्छी नज़्म.....!!

    इसे ग़ज़ल न लिखने की अलग विधा है....किसी गुरु की शरण लें .....!!

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  3. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
    बहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने!

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  4. Good composition, but pardon me, this cannot be categorized as Ghazal.

    हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो - Nice line!

    God bless
    RC

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  5. Please remove word verification from your comments ...

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  6. बहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए!
    बढ़िया ग़ज़ल लिखा है आपने!

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath