उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो
उदास होने से फ़ायदा क्या
बताओ रोने से फ़ायदा क्या
जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो
नए रास्ते तुम निकालो
उड़ान टूटे परों में भर लो
हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो
उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .
ro rahe hai ki ek aadat hasi warna etna nahi mlaal hume.....sunder post...
ReplyDeleteबहुत अच्छी नज़्म.....!!
ReplyDeleteइसे ग़ज़ल न लिखने की अलग विधा है....किसी गुरु की शरण लें .....!!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
ReplyDeleteबहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने!
Good composition, but pardon me, this cannot be categorized as Ghazal.
ReplyDeleteहवा के लश्कर को तुम फतह कर लो - Nice line!
God bless
RC
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ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए!
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल लिखा है आपने!