Friday, August 14, 2009

ग़ज़ल

वो जो मिलता रहा बहाने से
पास आता नही बुलाने से
लाख छुपने की कोशिशें कर लें
प्यार छुपता नही छुपाने से
वो मिलता रहा अकेले में
अब बताता फिरे ज़माने से
मुझसे रूठा तो पास था मेरे
दूर होने लगा मनाने से
जाम पीता था होश रहता था
बा ख़बर हूँ मै ना पिलाने से
उसके दरपर जो सर झुके "अलीम"
अब उठता नही उठाने से

2 comments:

  1. जाम पीता था होश रहता था
    बा ख़बर हूँ मै ना पिलाने से

    Bahut khoob.....!!

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  2. वाह ! बहत खूब! क्या अंदाज़ है! माशाल्लाह आप तो छा गए!

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