Wednesday, November 25, 2009

जब उसको मोहब्बत में खुदा मान लिया है
वोह क़त्ल भी कर दे शिकायत न करुगा।
मैं दूर बहुत दूर चला चला जाऊ तुझसे
लेकिन तेरे दिल से कभी हिजरत न करुगा।
हो जाऊ किसी ग़ैर का मुमकिन ही नही है
मैं तेरी अमानत में खयानत न करुगा।
तकदीर का आंचल मेरे सर से न गिरेगा
बदनाम बुजुर्गों की शराफत न करुगा।
सर तन से जुदा होना तो मंज़ूर है अलीम
मगर किसी बातिल की बे इज्ज़त न करुगा।

Tuesday, November 17, 2009

ग़ज़ल

उनसे नज़रें मिली और दिल चार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
अब तो बेकरारी छाने लगी हर वक्त
यह समझ कर की अब फिर सिलसिले मुलाकात हो
यह सोच कर उनपर दिल निसार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
यह सिर्फ़ मोहब्बतें अलफ़ाज़ है और कुछ नही
यह सिर्फ़ धोखा है निगाहों का और कुछ नही
कैसे मैं इस खेल में गिरिफ्तार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।