जब उसको मोहब्बत में खुदा मान लिया है
वोह क़त्ल भी कर दे शिकायत न करुगा।
मैं दूर बहुत दूर चला चला जाऊ तुझसे
लेकिन तेरे दिल से कभी हिजरत न करुगा।
हो जाऊ किसी ग़ैर का मुमकिन ही नही है
मैं तेरी अमानत में खयानत न करुगा।
तकदीर का आंचल मेरे सर से न गिरेगा
बदनाम बुजुर्गों की शराफत न करुगा।
सर तन से जुदा होना तो मंज़ूर है अलीम
मगर किसी बातिल की बे इज्ज़त न करुगा।
हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Wednesday, November 25, 2009
Tuesday, November 17, 2009
ग़ज़ल
उनसे नज़रें मिली और दिल चार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
अब तो बेकरारी छाने लगी हर वक्त
यह समझ कर की अब फिर सिलसिले मुलाकात हो
यह सोच कर उनपर दिल निसार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
यह सिर्फ़ मोहब्बतें अलफ़ाज़ है और कुछ नही
यह सिर्फ़ धोखा है निगाहों का और कुछ नही
कैसे मैं इस खेल में गिरिफ्तार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
अब तो बेकरारी छाने लगी हर वक्त
यह समझ कर की अब फिर सिलसिले मुलाकात हो
यह सोच कर उनपर दिल निसार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
यह सिर्फ़ मोहब्बतें अलफ़ाज़ है और कुछ नही
यह सिर्फ़ धोखा है निगाहों का और कुछ नही
कैसे मैं इस खेल में गिरिफ्तार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
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