Friday, February 27, 2009

रिश्ता ( प्यार इश्क और मोहब्बत )

कहते है अल्लाह , इश्वर, ने सबसे खूबसूरत और ज़हीन कोई ऐसी चीज़ बनाया तो इंसान. उसके बाद इंसानियत को एक दुसरे से जोड़ा ' प्यार, इश्क, और मोहब्बत से ' अब जब प्यार शब्द का नाम आही गया तो क्यों न हम तफसील से लिख कर अप्प सभी तक पहुँचाऊ , प्यार' क्या है ये एक दिली रिश्ता है जो दिलो से निकलकर दूसरों तक पहुँचती है, इस पारकर इससे कई रिश्ते पनपते है चाहे वो माँ का प्यार हो भाई- बहन का हो , मुल्क से हो , वगैरह , लेकिन आज दुनिया कितनी तेजी से भाग रही है उसी तरह इंसान भी सभी रिश्तों के अल्फाज़ को तक पर रखकर उस अल्फाज़ के माने को अलग थलग कर दिया है आज इंसान सिर्फ पैसों से ही अपना रिश्ता नाता बना लिया है . मां बाप , भाई- बहन , यह कैसा रिश्ता है वो तो कब का भूल चूका है , जैसे जैसे मुल्क तरक्की के रस्ते से गुज़र रहा है वैसे वैसे इंसान माडर्न होता चला जा रहा है, आज का प्यार सिर्फ एक दिखावा वो छलावा है अगर आपके पास पैसे है तो रिश्ते अपने आप बनते चले जाते चाहे वो किसी मायेने से हो , मिसाल के तौर पर आज हम नौजवानों की प्यार इश्क और मोहब्बत की तरफ ले जाते है , आज का नौजवान प्यार को अपनी जेब में रखता है वो किसी से प्यार नहीं karta सिर्फ और सिर्फ उसका खिचाओ होता है यह उसको भी पता है क्योंकि उसको मालूम है हमे इस दुनिया me भागमभाग ज़िन्दगी में सिर्फ और सिर्फ चल कपट के द्वारा आगे चलना है ताकि ज्यादह से ज्यादह कोर्रेप्शन करके आगे निकल सके , हम यह बिलकुल भी नहीं कहते प्यार नाम शब्द अब जिंदा नहीं रह गया है बिलकुल जिंदा है कुछ की लोगो की वजह से रिश्ते आज भी कायम है और होते रहेंगे लेकिन पहले की मोहब्बत की जैसे मिसाल दी जाती थी ( रोमियो जूलियट, लैला मजनू आदि) अब वो इश्क ab कहा रहा इश्क तो अब सिर्फ अश्क बन गया है किसी का दिल टूट रहा है किसी के रिश्ते खंडहर में तब्दील हो रहे है hum sab दुनियावी मायाजाल में फंसते चले जा रहे है रिश्तों को ताकों पर रख दिया है वादों का गला घूंट दिया है , खैर बस हम येही चाहते रिश्तों को जिंदा रखने के लिए हम सभी दुनियावी माया जाल से निकल कर रिश्ते की बुनियाद को मज़बूत करें ताकि आने वाले दिनों में रिश्ता सिर्फ इक लाइलाज बीमारी न बन जाये , लोगो का भरोसा रिश्ते नाम से अलग हो जाए , इसलिए हम इक बार फिर वादा करें प्यार इश्क और मोहब्बत यह जो हमे सिर्फ अल्फाज़ लगते है इसको दिलों की गहराईयों तक पहुँचने का काम करें येही दुनिया और आखिरत के लिहाज़ से बेहतरीन इंसानी काम होगा.

Wednesday, February 25, 2009

MAZHAB aur INSANIYAT

कहते है दुनिया में बहुत से इंसान रहते हैं और हर इंसान एक दुसरे इन्सान का हमराज़, हमसफ़र, दोस्त होता है वगैरह, और ऊपर वाले ने दुनिया में सबसे खूबसूरत चीज़ अगर कोई इस दुनिया में बनायीं तो वो इंसान को बनाया उसमें जान डाली और दुनिया में उतारा, येही सबसे खूबसूरत चीज़ दुनिया में आकर इंसानियत नाम की चीज़ को भुला कर पैसे की चकाचौंध दुनिया में अपनी हस्ती को मिटाना शुरू कर दिया और पैदा हुआ ( करप्शन , लूटमार , डकैती , चोरी , वगैरह ). आगे जब इस दुनिया में इंसान आया तो वो अलग अलग मजहबों में पैदा हुआ, जब थोडा बड़ा हुआ पैसे की माया जल में फंसता चला गया और आखिर में उसने पैसे को अपना मज़हब मान कर कोर्रेप्शन की भागम भाग दुनिया में शामिल हो गया वो भूल गया की इंसानियत किस नाम की चिडिया का नाम है अब उसकी नज़र में पैसा ही उसका अल्लाह , भगवान् , बन गया अब सिर्फ और सिर्फ मकसद पैसों की होड़ में आगे निकलना है और usi chakkar में इंसानियत नाम को भूल गया और उसने इंसानियत को अपने पैरों टेल कुचलना शुरू कर दिया भाई को भाई से लड़ा कर एक मज़हब के इंसान को दुसरे मज़हब के लोगों के दरमियान झगडे पनपा के , गरीबो को अपने पैरों टेल दबा कर वो पैसे की मायाजाल में फंसता चला गया और आखिर में वोह इंसानियत नाम की चीज़ का दुश्मन बन बैठा , कोई भी धर्म बस एक ही शिक्षा देता है ए लोगों इंसानियत ही तुमहरा सच्चा धर्म है उसको पहचानो, पाक किताबों में भी लिखा साचा इंसान वही है जो सभी मज्हबो की इज्ज़त करता हो किसी को नहीं सताता हो दुसरे की मदद करता हो आदि , हम ऐसा बिलकुल भी नहीं कहना चाहते की अज इंसानियत इस दुनिया में नहीं बची है अगर ऐसा हमने बोला तो सरासर हम इंसानियत के दुश्मन है आज भी बहुत से अच्चे लोग इस दुनिया में हैं जो दो दिलो को जोड़ने का काम कर रहे है क्योकि वही सबसे अच्छी सेवा है है अपने मज़हब की इबादत करना ,, आखिर में ज़रूरत है हमे इस अच्चे काम में सहयोग करने की ताकि दुनिया में सभी कॉम, किसी भी मज़हब ke ( लोग) एक खुशहाल ज़िन्दगी बसर कर सके चरों तरफ एक ही नज़ारा हो हर इंसान अपनी अपनी खुशियों में मग्न हो कोई भी बेकार न हो , आईये चलिए वडा करें हम इंसानियत को हमेशा जींदः रखेंगे चाहे उसमे रहने वाला किसी भी मज़हब का हो दिलो से सभी के धर्मों का आदर करना सिखाएं और सीखे इसी तरह हम दोनों मज़हब और इंसानियत को जींदः रख पायेंगे और खुशियाँ लेन में सफल होंगे, आईये चलिए एक बार फिर वडा करें. आमीन

insaaniyat ek behtareen tohfa har ek insaan ko

kahte hai duniya me agar sabse koi achi cheez hai to wo " insaan" Pak kitabon me bhi ALLAH, ISHWAR, JESUS, ne saaf saaf farmaya hai ki duniya me agar koi sabse behtreen cheez humne banayi to insaan ko banaya". lekin yeh kya aaj ke insaan ke pass insaniyat bachi kaha har koi apni zaruryat me mashgool hai , agar aj agar kisi se ek glass pani ke daryaft karta hai to hamara jawab seedha aur asaan hota hai "oye" chal hum tere baap ke naukar hai jo aap jaise nawab ke liye pani layein , ab insaan ke pass insaniyat bachi kaha hai , koi mazhab ke naam par insanon ko insano se ladwa raha hai , koi gareebon ko apne pairon tale raud raha hai , to koi apne budhe maan, baap ko sata raha hai , koi dahej ke naam insaniyat ko marne me laga hai vagairah vagairah , ab insaniyat sirf ek alfaz aur sirf alfaz ban kar rah gaya jo sirf kiton tak achi lagti hai, kahte hai jo insaniyat ko pehchanta hai aur uspar chalta hai aur doosron ko usi rahe-e-rast par lata hai wohi sacha insaan hota , hum yeh nahi kahte insaniyat ek dum is duinya se fana ho gayi hai aj bhi aise log hai yaha jo insaniyat ki misaal hai hum bhi unhi ko dekh kar insaniyat ki raah par chalne ki koshish kar rahe hai taki hamari wajah se doosron ko takleef na pahunche aur zindagi hamri sabki khushgwar ho guzarein , so akhiri me hum kahna chahte hai yeh insaano jago , insaniyat bagiya me pyar , mohabbat , aman, chain, dher sari khushiyan bhar dein taki is duniya sabhi tabke chahe woh kisi bhi mazhab ( relegion) ka ho apni sari zindagi jo UPAR wale ki di gayi nemat