हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Wednesday, February 25, 2009
MAZHAB aur INSANIYAT
कहते है दुनिया में बहुत से इंसान रहते हैं और हर इंसान एक दुसरे इन्सान का हमराज़, हमसफ़र, दोस्त होता है वगैरह, और ऊपर वाले ने दुनिया में सबसे खूबसूरत चीज़ अगर कोई इस दुनिया में बनायीं तो वो इंसान को बनाया उसमें जान डाली और दुनिया में उतारा, येही सबसे खूबसूरत चीज़ दुनिया में आकर इंसानियत नाम की चीज़ को भुला कर पैसे की चकाचौंध दुनिया में अपनी हस्ती को मिटाना शुरू कर दिया और पैदा हुआ ( करप्शन , लूटमार , डकैती , चोरी , वगैरह ). आगे जब इस दुनिया में इंसान आया तो वो अलग अलग मजहबों में पैदा हुआ, जब थोडा बड़ा हुआ पैसे की माया जल में फंसता चला गया और आखिर में उसने पैसे को अपना मज़हब मान कर कोर्रेप्शन की भागम भाग दुनिया में शामिल हो गया वो भूल गया की इंसानियत किस नाम की चिडिया का नाम है अब उसकी नज़र में पैसा ही उसका अल्लाह , भगवान् , बन गया अब सिर्फ और सिर्फ मकसद पैसों की होड़ में आगे निकलना है और usi chakkar में इंसानियत नाम को भूल गया और उसने इंसानियत को अपने पैरों टेल कुचलना शुरू कर दिया भाई को भाई से लड़ा कर एक मज़हब के इंसान को दुसरे मज़हब के लोगों के दरमियान झगडे पनपा के , गरीबो को अपने पैरों टेल दबा कर वो पैसे की मायाजाल में फंसता चला गया और आखिर में वोह इंसानियत नाम की चीज़ का दुश्मन बन बैठा , कोई भी धर्म बस एक ही शिक्षा देता है ए लोगों इंसानियत ही तुमहरा सच्चा धर्म है उसको पहचानो, पाक किताबों में भी लिखा साचा इंसान वही है जो सभी मज्हबो की इज्ज़त करता हो किसी को नहीं सताता हो दुसरे की मदद करता हो आदि , हम ऐसा बिलकुल भी नहीं कहना चाहते की अज इंसानियत इस दुनिया में नहीं बची है अगर ऐसा हमने बोला तो सरासर हम इंसानियत के दुश्मन है आज भी बहुत से अच्चे लोग इस दुनिया में हैं जो दो दिलो को जोड़ने का काम कर रहे है क्योकि वही सबसे अच्छी सेवा है है अपने मज़हब की इबादत करना ,, आखिर में ज़रूरत है हमे इस अच्चे काम में सहयोग करने की ताकि दुनिया में सभी कॉम, किसी भी मज़हब ke ( लोग) एक खुशहाल ज़िन्दगी बसर कर सके चरों तरफ एक ही नज़ारा हो हर इंसान अपनी अपनी खुशियों में मग्न हो कोई भी बेकार न हो , आईये चलिए वडा करें हम इंसानियत को हमेशा जींदः रखेंगे चाहे उसमे रहने वाला किसी भी मज़हब का हो दिलो से सभी के धर्मों का आदर करना सिखाएं और सीखे इसी तरह हम दोनों मज़हब और इंसानियत को जींदः रख पायेंगे और खुशियाँ लेन में सफल होंगे, आईये चलिए एक बार फिर वडा करें. आमीन
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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath