Wednesday, April 29, 2009

ghazal

जिंदगानी की हकीकत को बताने वाला

कोई मिल जाए मुझे अक्स दिखाने वाला

चौक जाता है हथेली को मेरी देख के क्यों

सबके हाथों की लकीरों को बताने वाला

कुदरती खेल का नायाब नमूना यह है

रोता रहता है सदा सबको हसाने वाला

मेरे दुश्मन तू मुझे मार मगर पहले ही

जा उसे मार जो है मुझे बचाने वाला

अब इरादों की में कश्ती को बचाऊ कैसे

लूट लेता है मुझे नाव चलाने वाला

किस तरह मुल्क की तस्वीर संवर पाएगी

रहनुमा हो गया है दंगे को कराने वाला

मई वसूलो पर सदा चलता रहूँगा अलीम

कोई मिल जाए मुझे राह दिखाने वाला

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