तनहाई में जब जब तेरी यादों से मिला हूँ
महसूस हुआ की आपको देख रहा हूँ
ऐसा भी नही है तुझे याद करू मैं
ऐसा भी नही की तुझे भूल गया हूँ
शायद यह तकब्बुर की सज़ा मुझको मिली है
उभरा था बड़े शान से अब डूब रहा हूँ
ए रात मेरी संत ज़रा सोच के बढ़ना
मालूम नही है तुझे मै अलीम जिया हूँ
bahut badiya.........
ReplyDeleteआपकी सुंदर टिपण्णी के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने!