Friday, May 8, 2009

ग़ज़ल

तनहाई में जब जब तेरी यादों से मिला हूँ
महसूस हुआ की आपको देख रहा हूँ
ऐसा भी नही है तुझे याद करू मैं
ऐसा भी नही की तुझे भूल गया हूँ
शायद यह तकब्बुर की सज़ा मुझको मिली है
उभरा था बड़े शान से अब डूब रहा हूँ
ए रात मेरी संत ज़रा सोच के बढ़ना
मालूम नही है तुझे मै अलीम जिया हूँ

2 comments:

  1. आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए धन्यवाद!
    बहुत खूब लिखा है आपने!

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath