Wednesday, May 20, 2009

ज़माना बीत गया ...


किस किस को बताएं हम खामोशी का सबब
मुझको चुप रहते तो ज़माना बीत गया
आंसू आँखों से भले न गिरे
दिल को रोते तो ज़माना बीत गया
वो खुश हो गए अगर तो मैं हंस लेता हूँ
मुझको तो ख़ुद हँसे ज़माना बीत गया
हर लम्हा तसव्वुर में उन्हें ही पाता हूँ
उनसे हकीक़त में मिले तो ज़माना बीत गया
जिस मंजिल की तलाश थी वो सफर में ही खो गई
और मुझको सफर करते-करते ज़माना बीत गया
मेरी तन्हाईयों में आज भी है वो बराबर के शरीक
उनकी महफ़िल में तो गए ज़माना बीत गया
अकेला मैं ही नही रोया खोकर उन्हें "उबैद"
उनको भी रोते रोते ज़माना बीत गया
"अब्दुल्लाह "

2 comments:

  1. किस किस को बताएं हम खामोशी का सबब
    मुझको चुप रहते तो ज़माना बीत गया ....khamoshia bhi apne aap boht kuchh kah jatee hai.....

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  2. bahut badiya likhi haa...........bahut khoobsurati se apne bhav pesh kiye haa aapne.........very good

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath