Sunday, June 28, 2009

ग़ज़ल

तेरी यादों से चमन दिल का सजा रखा है
तेरी राहों में दिया दिल का जला रखा है
खूने दिल खूने जिगर खूने तमन्ना देकर
तेरी तस्वीर से हर रंग सजा रखा है
तेरी ऑंखें है ग़ज़ल होंठ कँवल मैंने कहा
पैकरे हुस्न तुझे गीत बना रखा है
तेरी तारीफ तो अशार में मुमकिन नही
गोया हर शेअर को सहकार बना रखा है
अब तेरे नाम से दुनिया मुझे पहचानेगी
अपना सब कुछ तेरी राहो में लुटा रखा है
मै की एक लफ्ज़ वफ़ा दर्द है तफसीर मेरी
ख़ुद को हर दौर में सूली पर चढा रखा है
शीश ऐ दिल तो निगाहों से चटक जाता है
अपने हाथ में क्यों संग उठा रखा है
राजदा अपना सितारोंम को बनाया है "अलीम"
किस्सा ऐ इश्को वफ़ा उनको सुना रखा है

3 comments:

  1. अब तेरे नाम से दुनिया मुझे पहचानेगी
    अपना सब कुछ तेरी राहो में लुटा रखा है

    अच्छी लगी गजल
    लिखते रहिये .. हम हैं न पढने के लिए !

    शुभकामनायें !


    कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
    लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
    इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

    तरीका :-
    डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

    आज की आवाज

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  2. मन के भावों को व्यक्त करने की कला कविता कहलाती है, फिर चाहे वह नज्म हो या गजल। आपने अपने मन के भावों को बखूबी बयां किया है
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  3. दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल लिखा है आपने! इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई!

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath