तेरी यादों से चमन दिल का सजा रखा है
तेरी राहों में दिया दिल का जला रखा है
खूने दिल खूने जिगर खूने तमन्ना देकर
तेरी तस्वीर से हर रंग सजा रखा है
तेरी ऑंखें है ग़ज़ल होंठ कँवल मैंने कहा
पैकरे हुस्न तुझे गीत बना रखा है
तेरी तारीफ तो अशार में मुमकिन नही
गोया हर शेअर को सहकार बना रखा है
अब तेरे नाम से दुनिया मुझे पहचानेगी
अपना सब कुछ तेरी राहो में लुटा रखा है
मै की एक लफ्ज़ वफ़ा दर्द है तफसीर मेरी
ख़ुद को हर दौर में सूली पर चढा रखा है
शीश ऐ दिल तो निगाहों से चटक जाता है
अपने हाथ में क्यों संग उठा रखा है
राजदा अपना सितारोंम को बनाया है "अलीम"
किस्सा ऐ इश्को वफ़ा उनको सुना रखा है
अब तेरे नाम से दुनिया मुझे पहचानेगी
ReplyDeleteअपना सब कुछ तेरी राहो में लुटा रखा है
अच्छी लगी गजल
लिखते रहिये .. हम हैं न पढने के लिए !
शुभकामनायें !
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
मन के भावों को व्यक्त करने की कला कविता कहलाती है, फिर चाहे वह नज्म हो या गजल। आपने अपने मन के भावों को बखूबी बयां किया है
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल लिखा है आपने! इस शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई!
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