मैं तो एक खवाब हूँ खो न जाऊं कही
इन निगाहों में मुझको बसा लीजिये
याद तनहाई में जब सताए कोई
बस अलीम की ग़ज़ल गुनगुना लीजिये
अशार
सितम मत पूछिए कैसे मेरा दिलदार करता है
कभी इनकार करता है कभी इज़हार करता है
जुबां से तो कभी इज़हार उल्फत वो नही करता
निगाहों से यह लगता है वोह मुझे प्यार करता है
bhaut khoob!!!!!mashaallah
ReplyDeleteit was so romantic thanks for posting
ReplyDeleteशानदार अशआर कहे हैं आपने।
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
वाह क्या बात है! मुझे आखरी लाइन सबसे पसंद आया ..निगाहों से लगता है वो मुझे प्यार करता है ...बिल्कुल सही क्यूंकि निगाहों से हर बात ज़ाहिर की जा सकती है और जुबान से कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना है जी
ReplyDeletewah ji..mazza aa gaya :)
ReplyDeletekhab banke ankho me basne ka khayal achha hai....
ReplyDeletesundar! sundar!! sundar!!!
ReplyDeletekam se kam nigaho se hi sahi..
ReplyDeletewo apne ishq ka izhaar to karta hai .. :)
अजीम जी अच्छा लिखते हैं ....आपकी पिछली पोस्ट भी देखी ज़ज्बात अच्छे हैं ...यूँ ही लिखते रहें .....!!
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! वक्त मिलने से मेरा ये ब्लॉग भी देखिएगा -
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!