Thursday, December 3, 2009

कविता


की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है
यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है ।
की मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
येहा सब लोग कहते है मेरे आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है
की समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता
यह आंसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन बना लेना सुन ले
जो मेरा हो नही पाया वोह तेरा हो नही सकता ।
की भंवर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
इस किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है ।

1 comment:

  1. की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
    मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है


    waah....waah se sari baat kah g...kitani sadgi aye .....bahut khoob .....!!

    मै तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है
    यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है ।

    बहुत सुंदर .....कमाल करने लगे हैं अब .....!!

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