Friday, May 21, 2010

हर एक अदा

वो घटा आज फिर स बरसी है
मुद्दतों आँख जिस पे तरसी है

कल तलक जो मेरा मसीहा था
आज उसकी ज़बा ज़हर सी है

मर मिटा आपकी अदाओं पर
हर अदा आपकी कहर सी है

रूठ जाना ज़रा सी बातों पर
यह अदा भी तेरी हुनर सी है

खो न जाऊ तुम्हारी आँखों में
आँख "अलीम" तेरी नगर सी है

Wednesday, May 19, 2010

ग़ज़ल

वह मेरा मेहमान भी जाता रहा
दिल का सब अरमान भी जाता रहा

अब सुनाउगा किसे मै हाले दिल
हाय अब वह नादान भी जाता रहा

हुस्न तेरा बर्क के मानिंद है
उफ़ मेरा ईमान भी जाता रहा

वह बना ले गए हमे अपना अज़ीज़
अब तो इमकान भी जाता रहा

दिन गए अलीम जवानी के मेरे
आँख पहले अब कान भी जाता रहा










































Sunday, May 16, 2010

hamsafar

है कयामत या है बिजली सी जवानी आपकी
खूबसूरत सी मगर है जिंदगानी आपकी

तीर आँखों से चलाना या पिलाना होंठ से
भूल सकता हु नहीं मैं हर निशानी आपकी

आप मोहसिन है हमारे आपका एहसान है
हमसफ़र हमको बनाया मेहेरबानी आपकी

रूठ कर नज़रें चुराना मुस्कुराना फिर मगर
याद है सब कुछ मुझे बातें पुरानी आपकी

तुमसे वाबस्ता है मेरी जिंदगानी का हर वरक
ज़िन्दगी मेरी है अलीम है कहानी आपकी

Tuesday, May 11, 2010

आइना

काश मैं एक आइना होता
हर पल हर घडी
तुझे देखता रहता
काश मैं एक आइना होता
तेरे चेहरे पर क्या लिखा है
तुझे यह बता देता और
दिन भर तेरे घर की
दीवारों पर झूलता
तेरे चेहरे की मुस्कान को
देखकर मुस्कुराता खिलखिलाता
काश मै एक आइना होता
आखिर एक दिन
उंचाई से फर्श पर
गिर कर टुकड़े टुकड़े हो जाता
तेरे लिए कुछ कर पाता
और जब जब तू उन टुकडो को
एक एक करके उठाती तो
बड़ा मज़ा आता
काश मैं एक आइना होता

Sunday, May 9, 2010

सहारा

डूब जाने की तलब दिल में उभर आई है
उसकी आँखों में अजब झील सी गहरे है

काश उसे भी मेरी हालत का पता हो जाता
रात है और गमे हिज्र की पुरवाई है

चाँद भी डूब गया बुझ गए तारे भी तमाम
मेरी आँखों में मगर नींद नहीं आई है

गम की तौहीन है इजहारे गमे दिल करना
और चुप रहने में शायद तेरी रुसवाई है

तेरी यादों ने दिया बढ़के सहारा ए दोस्त
जबकि कश्ती मेरी तूफ़ान से टकराई है

गमे जाना गमे दुनिया गमे हस्ती गमे दिल
ज़िन्दगी कितने मराहिल से गुज़र आई है

मुस्कुरा के जो हर एक दर्द सहा है मैंने
ए गमे दोस्त तेरी हौसला अफजाई है

Wednesday, May 5, 2010

वफ़ा

कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है
वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है

मेरी वफ़ा का तुझे ऐतबार हो की न हो
तेरी वफ़ा का ऐतबार आज भी है

तेरी जुदाई को सदिया गुज़र गयी लेकिन
तेरी जुदाई में दिल अश्कबार आज भी है

हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई
तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है

वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने
उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है

वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती
चमन में होने को यू तो बहार आज भी है

तेरी नज़र से जो मैंने पिया था जाम कभी
उस एक जाम का "हमदम" खुमार आज भी है

Monday, May 3, 2010

ये उनका अंदाज़ है

पहले प्यार सिखाते है
फिर दूर कही चले जाते है
ये उनका अंदाज़ है
यादों की भूलभुलैय्या में
सपनो को उलझाते है
चाहत की इस छैय्या में
नफरत की आग बरसाते है
ये उनका अंदाज़ है
आवारा भौरों की तरह
घूम घूम के आते है
मासूम कलियों के संग
चुपके से रस चुराते है
ये उनका अंदाज़ है
साथ रहने की कसमे खाते
आंसू बनकर रुलाते है
चाहे जितना रोको उन्हें
पत्थर दिल हो जाते है
ये उनका अंदाज़ है
देख न पाते प्यार को रोते
खुद सागर में मिट जाते है
प्यार की मंजिल छोड़ में एक दिन
पक्षी बन उड़ जाते है
ये उनका अंदाज़ है