वो घटा आज फिर स बरसी है
मुद्दतों आँख जिस पे तरसी है
कल तलक जो मेरा मसीहा था
आज उसकी ज़बा ज़हर सी है
मर मिटा आपकी अदाओं पर
हर अदा आपकी कहर सी है
रूठ जाना ज़रा सी बातों पर
यह अदा भी तेरी हुनर सी है
खो न जाऊ तुम्हारी आँखों में
आँख "अलीम" तेरी नगर सी है
Aleem ji...lagaatar hausla afzaai k liye shukriya... aur jise ap attitude samajh baithe hain wo meri naasamjhi h...apke blog par kai baar aayi, rachnayein padhi achhi bhi lagi lkn tareef k liye sahi alfaaz nahi dhundh payi...
ReplyDeleteखो न जाऊ तुम्हारी आँखों में
ReplyDeleteआँख "अलीम" तेरी नगर सी है ..
वाह वाह क्या बात है! दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ! उम्दा प्रस्तुती!
dil ke dard me dubo kar likhi ek umda gazel.badhayi.
ReplyDeleteकल तलक जो मेरा मसीहा था
ReplyDeleteआज उसकी ज़बा ज़हर सी है &
रूठ जाना ज़रा सी बातों पर
यह अदा भी तेरी हुनर सी है ye dono hamko bahut pasand aaye
its beautiful,,,,,
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