अगर जो मै कह दू मोहब्बत है तुमसे
तो खुदारा मुझे ग़लत मत समझना
मेरी ज़रूरत हो तुम
वोह पाकीजा मूरत हो तुम
है चेहरा तुमहरा की दिन है सुनेहरा
और उस पर काली घटाओं का पहरा
गुलाबों से नाज़ुक महकता बदन है
यह लब है तुम्हरे के खिलता चमन है
बिखेरो जो जुल्फे तो शर्माए बादल
ये अलीम भी देखे तो हो जाए पागल
वोह पकीजः मूरत तुम
मेरी ज़रूरत हो तुम...
अगर मै जो कह दू .............
तो खुदारा मुझे तुम ...............
दिल को जज्बात को सलीके से कहने में आपका जवाब नहीं।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अगर जो मै कह दू मोहब्बत है तुमसे
ReplyDeleteतो खुदारा मुझे ग़लत मत समझना
मेरी ज़रूरत हो तुम
बहुत खूब....अच्छी शुरुआत है .....!!