Friday, June 5, 2009

ग़ज़ल

जाने वो हमसे क्या ले गए

उनसे नज़रें मिली मिली दिल चुरा ले गए

शायद कहना था उनको कोई बात हमे

एक पड़ोसी से हमारा पता ले गए

अब उनसे इस कदर हो गई है मोहब्बत हमें

वोह शमा के परवाने बना ले गए

क्या कहें उनके इश्क वो दीवाने हम

लाख मन्नत के वोह हमको अपना बना ले गए

अब बन गई हैं वोह हमारी शरीक ऐ हयात

अपने खवाबों की शहजादी हम बना ले गए

जाने वोह हमसे क्या ले गए

उनसे नज़रें मिली और दिल चुरा ले गए

1 comment:

  1. बहुत खूब लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath