यूँ लगा उनके रूठ जाने से
अब वफ़ा उठ गई ज़माने से
ऐसे अनजान बन गए गोया
आशना वो न थे फ़साने से
सर्द रुत के हँसी सवेरे में
वो बिचादते है किस बहने से
मैंने पलकों पे जो सजाये थे
खवाब टूटे है वो सुहाने से
कौन " अलीम" उस नगर जाए
शहर वीरान है उनके जाने से
bahut acha likha aapne
ReplyDeletehalanki mein khud kavita nahi kah sakti par dusare logo ke khayalayt padna bahut accha lagta hai.
thanx for sharing your feelings in a poetic manner
बहुत बढ़िया और उम्दा ग़ज़ल लिखा है आपने! वैसे आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है! आपका हर एक ग़ज़ल मुझे बेहद पसंद है !
ReplyDeleteek achhee ghazal ke liye
ReplyDeletem u b a r a k b a a d .
---MUFLIS---
bahut aachi rachna haa.........
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