Tuesday, August 11, 2009

ग़ज़ल

वोह मासूम चेहरा खूबसूरत निगाहें
कोई भी उन्हें देखे हो जाए पागल
वोह दिलकश अदाएं वो बलखाती जुल्फें
समंदर भी देखे तो मच जाए उनमे हलचल
वोह उनका अंदाजे चलना उसपर इठलाना
वोह उनका शर्माना और मुस्कुराना
वोह मासूम चेहरा ......................
कोई भी उन्हें ...........................
वोह हुस्न की मलका लगे जैसे कोई शहजादी
जो पलट कर देखे तो बजे दिल के तार मुसलसल
वोह मासूम चेहरा .................
कोई भी उन्हें .....................

2 comments:

  1. वाह वाह क्या बात है! दिल से लिखी हुई ख़ूबसूरत रचना! बहुत ही रोमांटिक जैसे की आपको उस लड़की से बेपन्हा मोहब्बत है!

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