Saturday, October 31, 2009

माँ एक दिलकश रिश्ता (अटूट)

माँ से मुझको राहत है
माँ ही मेरी चाहत है ।
माँ ऐसी हस्ती है
जिससे रौशन दिल की बस्ती है ।
माँ ने मुझको पाला है
पाला है और संभाला है ।
दुःख मेरे वोह सहती है
फिर भी खुश रहती है ।
देखकर वोह मुझे जीती है
मेरी बलाएं वोह लेती है ।
माँ के दम से आन है मेरी
माँ के दम से शान है मेरी।

ग़ज़ल

किया है प्यार हमने ज़िन्दगी की तरह
वोह आशना भी मिला हम से अजनबी की तरह ।
सितम तो यह है वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किए जिसके गम खुशी की तरह।
बढ़ा के प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वोह कर रहा था मुरव्वत दिल्लगी की तरह।
कभी न सोचा था हमने "अलीम" उसके लिए
करेगी वोह सितम हम पे हर किसी की तरह।

Friday, October 30, 2009

अशार

क्यो हमसे है वो खफा आजकल
उनसे मोहब्बत हुए ज़माना बीत गया ।
उनके उन्ही अदाओं पर मैं सदके जाऊं
महज़ यह लफ्ज़ अब एक फ़साना बन गया ।
लाख कोशिशों के उनकी चाहते खफगी के बाद
अब फिर चाहना उनको मेरा हौसला बना गया ।
ए खुदा फिर कभी ऐसे मोहब्बत का इम्तिहान मत ले
अब इश्क पर फौत होना मेरा ईमान बन गया ।
अब न होगा किसी और को शामिल अलीम
यह मेरी पुरी ज़िन्दगी का अहद बन गया ।