किया है प्यार हमने ज़िन्दगी की तरह
वोह आशना भी मिला हम से अजनबी की तरह ।
सितम तो यह है वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किए जिसके गम खुशी की तरह।
बढ़ा के प्यास मेरी उसने हाथ छोड़ दिया
वोह कर रहा था मुरव्वत दिल्लगी की तरह।
कभी न सोचा था हमने "अलीम" उसके लिए
करेगी वोह सितम हम पे हर किसी की तरह।
ye apki best rachna haa abhi tak ki
ReplyDeleteसितम तो यह है वो भी न बन सका अपना
कुबूल हमने किए जिसके गम खुशी की तरह।
ye lines bahut sunder haa........overall bahut badiya rachna haa......
aleem ji
ReplyDeletemere blog par aane ke liye thanks.aapki ye rachna achchhi lagi
suman'meet'
nai kavita post ki hai padiyega jaroor