तुमसे मिलने का यह बहाना अच्छा लगा
नज़र मिलकर नज़र चुराना अच्छा लगा।
चुपके चुपके जब वोह मुझसे मिलने आई
पायल का वोह शोर मचाना अच्छा लगा।
जहाँ जहा गुजरा मेरा हरजाई
उन गलियों में आना जाना अच्छा लगा।
गजलों का यह गाँव न छोड़ेगा "अलीम"
मेरो ग़ालिब का यह घराना अच्छा लगा।
चुपके चुपके जब वोह मुझसे मिलने आई
ReplyDeleteपायल का वोह शोर मचाना अच्छा लगा।
वाह वाह क्या बात है! अत्यन्त सुंदर पंक्तियाँ! मन मोह लिया!
Bahut hi dundar gazal kahi hai aapne.
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
.....इतनी भी कठिन नहीं है यह पहेली।
aap bahut accha lekhtein hai.
ReplyDeleteApaka andaaz bada accha hai.