Saturday, January 2, 2010

अशार

बहुत रोया हूँ हँसना चाहता हूँ
तेरी आँखों में बसना चाहता हूँ
दरीचे खोल दे सब अपने दिल के
बहुत बे चैन हूँ बरसना चाहता हूँ

अशार

साथ मैं तेरा उम्र भर दूंगा
प्यार ही प्यार तुझ में भर दूंगा
एक इशारा जो तेरा मिल जाए मुझको
साड़ी ज़िन्दगी तेरे नाम कर दूंगा

1 comment:

  1. हुत रोया हूँ हँसना चाहता हूँ
    तेरी आँखों में बसना चाहता हूँ
    दरीचे खोल दे सब अपने दिल के
    बहुत बे चैन हूँ बरसना चाहता हूँ

    वाह...वाह.....!!

    आज तो दिल खुश कर दिया अलीम जी ......!!

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