Monday, January 11, 2010

ग़ज़ल

मुद्दतों स चाहा तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे

मुलाकातों का सिलसिला यूँ बरकरार रहे
मोहब्बत का सुरूर यूँ परवाज़ रहे

सदा खिलखिलाती रहे तेरी खुशियों का आँगन
ऐसे ही तेरी ज़िन्दगी खुशगवार रहे

अब इश्क की पनाहों में रहना है तुम्हे
ऐसे ही सदा खिखिलाना वो मुस्कुराना है तुम्हे

मुद्दतों स चाहा है तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे

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