Monday, January 11, 2010

ग़ज़ल

एक हादसे में चल के
हम तो चले थे संभल के

फिर हो गए किसी के
हालात स फिसल के

वोह नंगे पांव आये
फिर धूप में मचल के

इनकार कैसे करते
मेहमान थे एक पल के

एक संगदिल है पिघला
उल्फत की लौ में जल के

उनका रहा हमेशा
देखा है दिल बदल के

कैसे जुदा करें हम
तुम शेर हो ग़ज़ल के ...

2 comments:

  1. एक संगदिल है पिघला
    उल्फत की लौ में जल के

    बहुत सुंदर......!!

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  2. एक संगदिल है पिघला
    उल्फत की लौ में जल के

    बहुत सुंदर......!!

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