एक हादसे में चल के
हम तो चले थे संभल के
फिर हो गए किसी के
हालात स फिसल के
वोह नंगे पांव आये
फिर धूप में मचल के
इनकार कैसे करते
मेहमान थे एक पल के
एक संगदिल है पिघला
उल्फत की लौ में जल के
उनका रहा हमेशा
देखा है दिल बदल के
कैसे जुदा करें हम
तुम शेर हो ग़ज़ल के ...
एक संगदिल है पिघला
ReplyDeleteउल्फत की लौ में जल के
बहुत सुंदर......!!
एक संगदिल है पिघला
ReplyDeleteउल्फत की लौ में जल के
बहुत सुंदर......!!