Friday, January 15, 2010

ग़ज़ल

देखते ही देखते कैसे दिल बे इख्तियार हो गया
पता ही नहीं चला कैसे उनसे प्यार हो गया

एकतरफा दिल धड़का था मेरा उनके लिए
इश्क एक जज्बा था मेरा उनके लिए

कैसे हम कहें अपनी बेकरारी का सबब उनसे
अब एक पल मेरा उनके बगैर जीना दुश्वार हो गया

देखते ही देखते कैसे दिल .............................
पता ही नहीं चला हमें .................................

मालूम है हमको खुदी स ये प्यार नहीं एक छलावा है
यह दिलों का सच्चा मिलाप नहीं बस एक दिखावा है

महबूब स मिलने दिल-इ-फनकार उनसे
बेचैनिये आगोश अब मेरा जीना मोहाल हो गया

देखते ही देखते कैसे दिल .........................
पता ही नहीं चला हमें ..........................

2 comments:

ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath