मैंने चिरागे इश्क जला कर बुझा दिया
दिल पर तुमाहरा नक्श बना कर मिटा दिया ।
जागा था तेरी याद में जो दिल किसी पहर
लोरी सुना सुना के फिर उसे सुला दिया ।
हो जाए और उसकी हथेली का रंग शोख
मेहँदी में मै ने खूने जिगर का मिला दिया ।
रखा है मैंने जब स कदम राहे इश्क में
हंसने का मुझको गम ने सलीका सिखा दिया ।
फरहाद , मजनू, राँझा, कभी श्याम
मुझको जुनूने इश्क ने क्या बना दिया ।
इस में तेरा कसूर नहीं कमसिनी का है
जिसने हमारे दिल को खिलौना बना दिया ।
दिले शिकन में आज बनाम ग़ज़ल ए दोस्त
"अलीम" ने दिल का हाल जहां को सुना दिया ।