मैंने चिरागे इश्क जला कर बुझा दिया
दिल पर तुमाहरा नक्श बना कर मिटा दिया ।
जागा था तेरी याद में जो दिल किसी पहर
लोरी सुना सुना के फिर उसे सुला दिया ।
हो जाए और उसकी हथेली का रंग शोख
मेहँदी में मै ने खूने जिगर का मिला दिया ।
रखा है मैंने जब स कदम राहे इश्क में
हंसने का मुझको गम ने सलीका सिखा दिया ।
फरहाद , मजनू, राँझा, कभी श्याम
मुझको जुनूने इश्क ने क्या बना दिया ।
इस में तेरा कसूर नहीं कमसिनी का है
जिसने हमारे दिल को खिलौना बना दिया ।
दिले शिकन में आज बनाम ग़ज़ल ए दोस्त
"अलीम" ने दिल का हाल जहां को सुना दिया ।
Bahut dard hai harr shabd mein...
ReplyDeleteAur itni gehraayi...
Regards,
Dimple
dimpal ji apki hasala afzaai ke liye bahut bahut shukriya jo aapne apne comments dekar hame inspire kiya aur behtar likhne ka...
ReplyDeleteshukriya aapka ek baar phir...
जागा था तेरी याद में जो दिल किसी पहर
ReplyDeleteलोरी सुना सुना के फिर उसे सुला दिया ।
सच बड़ी खूबसूरती से दर्द को शब्दों में पिरोया है आपने
हो जाए और उसकी हथेली का रंग शोख
ReplyDeleteमेहँदी में मै ने खूने जिगर का मिला दिया ।
bahut accha likha hai aapne sach mei
जागा था तेरी याद में जो दिल किसी पहर
ReplyDeleteलोरी सुना सुना के फिर उसे सुला दिया ।
हो जाए और उसकी हथेली का रंग शोख
मेहँदी में मै ने खूने जिगर का मिला दिया ।
aleem ji maafi chaahti hu...ki aaj tak apke blog per na aa payi...
aaj apko pehli baar padha...aap to bahut acchha likhte hai...
in do sher ne to dil ka haal puri tareh se suna diya...
aapki gazel bahut pasand aayi.
shukriya...aage se continue rahungi.
holi ki shubhkamnaye.
bahut hi khoobsurat...really emotional and touching
ReplyDeleteshabdon ki achchi tarah aap ne piroya hai es poetry mein bahut khoob....aur yeh pankti to bahut achchi haiफरहाद , मजनू, राँझा, कभी श्याम
ReplyDeleteमुझको जुनूने इश्क ने क्या बना दिया ।