देखा है जब से आपको हमने हिजाब में
लगता नहीं हमारा दिल अब किताब में
पी कर तुम्हरी आँख से महसूस यह किया
मस्ती न कुछ दिखी है खालिस शराब में
क्या तुमको मुझसे प्यार है पुछा था एक सवाल
मुस्कान लब पे रख दिया उसने जवाब में
शायद वो हमसे प्यार अब करने लगा जनाब
वो आप आप कहता है हमको खिताब में
मै क्यों न अपनी जान को तुम पर करू निसार
कयामत छुपी आपके "अलीम" शबाब में
aapki gazel charcha manch par saraahi gayi hai. aap jaker dekhe.
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
बहुत उम्दा गज़ल!
ReplyDeleteachhi hai..ravayati hai ....
ReplyDeletebahut badiya....
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