याद तेरी आये तो ग़ज़ल कहता हूँ
रात दिन मुझको सताए तो ग़ज़ल कहता हूँ
होंठ स अपने पिलाए तो ग़ज़ल कहता हूँ
आँखों स आँख मिलाये तो ग़ज़ल कहता हूँ
चांदनी रात में तनहा मै कभी होता हूँ
याद में नींद न आये तो ग़ज़ल कहता हूँ
जब कोई होंठ पर मुस्कान सजा कर अपने
शर्म स आँख झुखाये तो ग़ज़ल कहता हूँ
पढ़ के अशार को "अलीम" के अगर कोई भी
मेरी हिम्मत को बढाए तो ग़ज़ल कहता हूँ
arey bilkul.......aap gazal kahte rahiye..ham himmat badhate rahenge....Aameen :-)
ReplyDeleteword verification hataiye
ReplyDeletebahut khoob ham vakt ke rehte jroor hounslaafjaai nibhayenge ..aap pls youn hi gajal kehte rahiye ,...
ReplyDeleteWah! Badhiya !!
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne...
ReplyDeletekuch hamne bhi likha hai.....
रात हम भी जागते है
उनकी यादो में
वो आते है ख्यालो
में इस तरह
कुछ पल को साथ
बीतने को
पर ऐसे चहरे को
ढांप कर
की कोई पढ़ ना
उन्हें मेरे
दिल के आईने
की तरह