इश्क था जिससे उसी शख्श से नफरत कैसी
दिल मोहब्बत के लिए है तो अदावत कैसी
ज़िन्दगी तुझसे ज़ालिम की शिकायत कैसी
वक़्त हाकिम है तो हाकिम से बगावत कैसी
हम वफादारों को मरने भी नहीं देता है
उसके लहजे में है ज़हरीली शराफत कैसी
ऐसे अंदाज़े मोहब्बत पे मोहब्बत कुर्बान
दिल में आते हो तो आजाओ इज़ाज़त कैसी
खुद भी हैरान हूँ मैं अपनी अना के हाथों
गम उठाने की मुझे पद गयी आदत कैसी
ज़ख्म भी देते हो और हाल भी कब पूछते हो
अब ये हमदर्दी है तो होती है अदावत कैसी
जो भी बोया है वही काटेगा एक रोज़ "अलीम"
गम मिले है ज़माने से शिकायत कैसी !
ज़िन्दगी तुझसे ज़ालिम की शिकायत कैसी
वक़्त हाकिम है तो हाकिम से बगावत कैसी
हम वफादारों को मरने भी नहीं देता है
उसके लहजे में है ज़हरीली शराफत कैसी
ऐसे अंदाज़े मोहब्बत पे मोहब्बत कुर्बान
दिल में आते हो तो आजाओ इज़ाज़त कैसी
खुद भी हैरान हूँ मैं अपनी अना के हाथों
गम उठाने की मुझे पद गयी आदत कैसी
ज़ख्म भी देते हो और हाल भी कब पूछते हो
अब ये हमदर्दी है तो होती है अदावत कैसी
जो भी बोया है वही काटेगा एक रोज़ "अलीम"
गम मिले है ज़माने से शिकायत कैसी !
as usual bahut aacha likha haa....keep it up....
ReplyDeleteऐसे अंदाज़े मोहब्बत पे मोहब्बत कुर्बान
ReplyDeleteदिल में आते हो तो आजाओ इज़ाज़त कैसी
वाह...वाह बहुत खूब कहा है आपने ....सच में जहाँ मोहब्बत है वहां सिर्फ प्यार और प्यार है
भले ही मोहब्बत कोई भी क़ुर्बानी क्यों ना मांगे ......दोस्त ऐसे ही लिखते रहे