Thursday, July 9, 2009

शेयर

मुदात्तों पढता रहा मैं तेरे चेहरे की किताब
याद तेरा हुस्न भी मुझको ज़बानी हो गया ।

प्यार है उनसे हमे अब ये बता देते हैं
देखते हैं की सज़ा उसकी वो क्या देते हैं
उनको शायद नही मालूम की सूरज हु मैं
एक दिया मुझको समझ कर वो हवा देते हैं।

Tuesday, July 7, 2009

ग़ज़ल

मेरी जानिब भी इनायत की नज़र होने लगी
जिंदगानी उनके साए में बसर होने लगी
मैंने इजहारे तमन्ना जब न की उनसे कभी
फिर न जाने कैसे दुनिया को ख़बर होने लगी
बे खुदी हद से गुज़रती जा रही है दिन ब दिन
रफ्ता रफ्ता मेरी यह हालत दीगर होने लगी
मेरी आँखों में समाता जा रहा है अक्से हुस्न
उनकी सूरत चारों जानिब जलवागर होने लगी
मेरी रुसवाई का चर्चा हर तरफ होने लगा
ख़ुद ब ख़ुद मेरी मोहब्बत मोतबर होने लगी
क्यों रहे "अलीम" को फिकरे इलाजे दर्दे दिल
दर्द की लज्ज़त से हस्ती बखबर होने लगी

ग़ज़ल

Sunday, July 5, 2009

ghazal

चेहरा मेरा था निगाहें उसकी

खामोशी में भी बातें उसकी

मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गई

शेयर कहती हुई आंखें उसकी

शोख लम्हों का पता देने लगी

तेज़ होती हुई सांसे उसकी

ऐसे मौसम भी गुजारे हमने

सुबहें जब अपनी थी शामें उसकी

ध्यान में उसके ये आलम था कभी

आंख महताब की यादें उसकी

ख़ुद पे भी चुभती नही जिसकी नज़र

जानता कौन ज़बान उसकी

नींद इस सोच से टूटे अक्सर

किस तरह कटती है रातें उसकी

दूर रहकर भी सदा रहती है

मुझको थामें हुए बाहें उसकी

Friday, July 3, 2009

वफ़ा (ग़ज़ल)

कहानी प्यार की तुमको सुनाना चाहता हूँ
तेरे घर को इन हाथों से सजाना चाहता हूँ
मेरी किस्मत में शायद तू नही है फिर भी सजनी
मैं वादे सब वफाओं के निभाना चाहता हूँ
खुशी मुझसे गुरेज़ा है मगर फिर भी मेरी जान
खिजा के रुत में भी गुलशन खिलाना चाहता हूँ
ज़रा सी देर को समझो मेरी जान मैं तेरा हूँ
दिल को इस हँसी धोके में लाना चाहता हूँ
सितम है मुझसे सब चीन गया लेकिन मैं अब भी
तुमाहरे खवाब आँखों में बसाना चाहता हूँ
मेरी साड़ी तमन्नाएं बेकार जायेगी लेकिन
मोहब्बत सिर्फ़ तुमसे है बताना चाहता हूँ