Saturday, May 9, 2009

ग़ज़ल


मत इंतज़ार कराओ हमे
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ
दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है
दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए
मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।
लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!
मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,

6 comments:

  1. बहुत बहुत शुक्रिया आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए!
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत बढ़िया लगा! शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई!

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  2. सुन्दर भावों की अभिव्यंजना .....!!

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  3. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!

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  4. aleem ji bahut khubsoorat rachna haa jitni tarif ki jaye kum haa

    or in paktiyo ka to kya kehna

    शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
    इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए

    aap bahut aacha likhta haa apki sabhi rachnyaye muje pasand haa

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  5. shuruvaat aur ant mazboot hai..beech mein utni shashakt nahi lagti..

    www.pyasasajal.blogspot.com

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  6. कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
    और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।

    बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
    पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!

    उपरोक्त शेर दिल को छू गए

    सुन्दर पेशकश पर बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath