Wednesday, March 17, 2010

यादें बस यादें


देखकर वह हमें मुस्कुराने लगे
तीर नज़रों के दिल पर चलाने लगे


वो हमे किस्सा -ए-गम सुनाने लगे
अश्क आँखों में अपनी भी आने लगे


उनकी यादों को जब हम भुलाने लगे
वह हमे और भी याद आने लगे


नब्ज़ रुकने लगी दिल धड़कने लगा
जब वह चेहरे स पर्दा हटाने लगे


तुझको पाने के अरमा थे दिल में बहुत
इतना कहने में हमको ज़माने लगे


आज "अलीम" वो जब मिले राह में
जाने क्यों मुझसे नज़रे चुराने लगे

1 comment:

  1. तुझको पाने के अरमा थे दिल में बहुत
    इतना कहने में हमको ज़माने लगे
    Bahut sundar alfaaz!

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