Tuesday, April 28, 2009

ग़ज़ल

आइने मे देखा तो, मुझे मेरा चेहरा अजनबी सा लगाlabon पर हसी थी, आखो मे मुझे पानी सालगा
teri हसरतो को हमने अपना मकसद बना liyaa
आज मुझे अपनी हस्ति पर, तेरा वजुद हावी सा लगा
एक वक़्त था, जब आप दुर रह के भी करीब थी
कुछ पल का ये फ़सला भी बरसो का सा लगा
jinke सवालो को , हम कभी समझ ही ना पाये
huaa पेमाना, हमेशा मुझको खाली सा lagaa
ye क्यु आप लेकर आ गये, प्यार का नूर मेरी राहो में
रोशनी का हर पल मुझे, अन्धेरे की कहानी सा लगा

No comments:

Post a Comment

ap sabhi ka sawagat hai aapke viksit comments ke sath