Wednesday, June 24, 2009

कसमे वादे

ये किताबों के किस्से फसानो की बातें
निगाहों की झिलमिल जुदाई की रातें
मोहब्बत की कसमे निभाने के वादे
यह धोका वफ़ा का ये झूठे इरादे
ये बातें किताबी ये नज्में पुरानी
ये इनकी हकीकत न इनकी कहानी
न लिखना इन्हे न महफूज़ करना
ये जज्बे है इनको महसूस करना

1 comment:

  1. वाह वाह क्या बात है! माशाल्लाह बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!मोहब्बत भरी नज्में जो दिल को छू गई!

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