मुदात्तों पढता रहा मैं तेरे चेहरे की किताब
याद तेरा हुस्न भी मुझको ज़बानी हो गया ।
प्यार है उनसे हमे अब ये बता देते हैं
देखते हैं की सज़ा उसकी वो क्या देते हैं
उनको शायद नही मालूम की सूरज हु मैं
एक दिया मुझको समझ कर वो हवा देते हैं।
हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
उनको शायद नही मालूम की सूरज हु मैं
ReplyDeleteएक दिया मुझको समझ कर वो हवा देते हैं।
bahut achcha
याद तेरा हुस्न भी मुझको ज़बानी हो गया ।
ReplyDeleteवाह ..वाह...हम तो इस एक पंक्ति पर मर मिटे ......!!
वाह वाह क्या बात है! हर एक पंक्ति लाजवाब है! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!
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