पाकीज़ा मोहब्बत को गुनेहगार न करना,
तुम प्यार तो करना मगर इज़हार न करना।
कुर्बान का जज़्बात तुम्हे विरसे में मिला है
वोह जान अगर मांगे तो इनकार न करना।
सूरत से बड़ी चीज़ है महबूब की कीरत,
आवारा हवाओं से कभी प्यार न करना।
हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Monday, December 14, 2009
आशार
आज मैं अपनी प्यास बुझाने आया हूँ ,
उसके दिल में आग लगाने आया हूँ।
तुझ बिन कैसे रह पाऊगा दुनिया में,
अपने दिला का हाल सुनाने आया हूँ।
सुन कर आहट उसके कदमो की खिड़की पर,
अपना चेहरा उसको दिखाने आया हूँ।
उसके दिल में आग लगाने आया हूँ।
तुझ बिन कैसे रह पाऊगा दुनिया में,
अपने दिला का हाल सुनाने आया हूँ।
सुन कर आहट उसके कदमो की खिड़की पर,
अपना चेहरा उसको दिखाने आया हूँ।
Saturday, December 5, 2009
ग़ज़ल
तुमसे मिलने का यह बहाना अच्छा लगा
नज़र मिलकर नज़र चुराना अच्छा लगा।
चुपके चुपके जब वोह मुझसे मिलने आई
पायल का वोह शोर मचाना अच्छा लगा।
जहाँ जहा गुजरा मेरा हरजाई
उन गलियों में आना जाना अच्छा लगा।
गजलों का यह गाँव न छोड़ेगा "अलीम"
मेरो ग़ालिब का यह घराना अच्छा लगा।
नज़र मिलकर नज़र चुराना अच्छा लगा।
चुपके चुपके जब वोह मुझसे मिलने आई
पायल का वोह शोर मचाना अच्छा लगा।
जहाँ जहा गुजरा मेरा हरजाई
उन गलियों में आना जाना अच्छा लगा।
गजलों का यह गाँव न छोड़ेगा "अलीम"
मेरो ग़ालिब का यह घराना अच्छा लगा।
अशार (मोहब्बत के )
तस्वीर तेरी दिल में बनाता मै रहूँगा
यादों से तेरे घर को सजाता मै रहूँगा।
जुगनू मेरे पलकों पे चमकते ही रहेंगे
रातों में तुझे रास्ता दिखाता रहूँगा
आशार
मै तेरे दिल में रहू या तेरी आँखों में रहू
ज़िन्दगी बनके सनम मै तेरी सांसों में रहू।
अब तुझे सोचता रहता हू मै करवट- करवट
मेरी खवाहिश थी मै तेरी बांहों में रहू ...
अशार
ये वाकिया लोगों अजीबो गरीब है
वोह मुझसे दूर रहके दिल के करीब है।
"अलीम" मिटा दे दिल के अमीरी की खवाहिशें
जो तुझको चाहती है वोह लड़की गरीब है।
यादों से तेरे घर को सजाता मै रहूँगा।
जुगनू मेरे पलकों पे चमकते ही रहेंगे
रातों में तुझे रास्ता दिखाता रहूँगा
आशार
मै तेरे दिल में रहू या तेरी आँखों में रहू
ज़िन्दगी बनके सनम मै तेरी सांसों में रहू।
अब तुझे सोचता रहता हू मै करवट- करवट
मेरी खवाहिश थी मै तेरी बांहों में रहू ...
अशार
ये वाकिया लोगों अजीबो गरीब है
वोह मुझसे दूर रहके दिल के करीब है।
"अलीम" मिटा दे दिल के अमीरी की खवाहिशें
जो तुझको चाहती है वोह लड़की गरीब है।
Thursday, December 3, 2009
कविता
की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है
यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है ।
की मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
येहा सब लोग कहते है मेरे आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है
की समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता
यह आंसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन बना लेना सुन ले
जो मेरा हो नही पाया वोह तेरा हो नही सकता ।
की भंवर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
इस किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है ।
अशार
इस भरे शहर में हम किधर जायेंगे
तुम सहारा न दोगे तो मर जायेंगे ।
आप रुसवाईयों से जो डर जायेंगे
आईने की तरह हम बिखर जायेंगे ।
हमको परदेश में अब न रोको "अलीम"
दिल परेशान है अपने घर जायेंगे ।
तुम सहारा न दोगे तो मर जायेंगे ।
आप रुसवाईयों से जो डर जायेंगे
आईने की तरह हम बिखर जायेंगे ।
हमको परदेश में अब न रोको "अलीम"
दिल परेशान है अपने घर जायेंगे ।
Subscribe to:
Posts (Atom)