दिल मेरा उसने तोड़ा है
बर्बाद करके हमे छोड़ा है
फिर भी प्यार उन्ही से करते है
एक बार नहीं सौ सौ बार कर कहते है
उन्ही से है मोहब्बत
उन्ही से है शफकत
लाख कोशिश के जो हमने ये रिश्ता जोड़ा है
दिल मेरा उसने तोडा है .......................
बेवाफा वह सही वफ़ा हम सदा करेंगे
लाख छिपने की कोशिशें कर ले वह
इश्क की बुनियाद हमने मुश्किलों से जोड़ा है
दिल मेरा उसने तोडा है .........................
हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Saturday, January 23, 2010
Wednesday, January 20, 2010
यादें बस यादें उनकी
हम जब उनको दिल स भुलाने लगते है
और ज्यादा वोह याद आने लगते है
मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है
दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है
याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है
आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....
और ज्यादा वोह याद आने लगते है
मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है
दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है
याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है
आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....
Saturday, January 16, 2010
ग़ज़ल
अब तो दिन ढल चूका है चले आईये
दिल धड़कने लगा है चले आईये
जाने फिर अब मुलाकात हो न हो
दिल लबों पर रुका है चले आईये
भीग कर रुक न जाए कही आज फिर
देखो बादल उठा है चले आईये
दिल परेशा है नींद आती नहीं
दीप बुझने लगा है चले आईये
दिल की दहलीज़ पर आकर रुक क्यों गए
सारा घर आपका है चले आईये
मेरे दिल में एक काँटा चुभा है "अलीम"
ख़त उन्होंने लिखा है चले आईये
दिल धड़कने लगा है चले आईये
जाने फिर अब मुलाकात हो न हो
दिल लबों पर रुका है चले आईये
भीग कर रुक न जाए कही आज फिर
देखो बादल उठा है चले आईये
दिल परेशा है नींद आती नहीं
दीप बुझने लगा है चले आईये
दिल की दहलीज़ पर आकर रुक क्यों गए
सारा घर आपका है चले आईये
मेरे दिल में एक काँटा चुभा है "अलीम"
ख़त उन्होंने लिखा है चले आईये
जब याद तेरी तडपाये
रातों को नींद न आये
कोई दर्द समझ न पाए
आने वाले अब तो आजा
सावन बीता जाए
जब याद तेरी तडपाये
बचपन में साथ जो खेले
सब दुःख सुख मिलकर झेले
हम रह गए आज अकेले
jab से वोह परदेस गए हैं
लौट कर फिर न आये
जब तेरी याद तडपाये
जब फैली तेरी खुशबू
सूखे आँखों में आंसू
है तुझमे ऐसा जादू
मिटटी को अगर हाथ लगा दे
तो सोना बन जाए
जब याद तेरी तडपाये
बरसे तेरी ज़ुल्फ़ के बादल
दिल हो गया मेरा पागल
यूँ ढूँढू तेरा आँचल
जैसे कोई प्रेमी पानी खो जाए
जब तेरी याद तडपाये
रातों को नींद न आये
रातों को नींद न आये
कोई दर्द समझ न पाए
आने वाले अब तो आजा
सावन बीता जाए
जब याद तेरी तडपाये
बचपन में साथ जो खेले
सब दुःख सुख मिलकर झेले
हम रह गए आज अकेले
jab से वोह परदेस गए हैं
लौट कर फिर न आये
जब तेरी याद तडपाये
जब फैली तेरी खुशबू
सूखे आँखों में आंसू
है तुझमे ऐसा जादू
मिटटी को अगर हाथ लगा दे
तो सोना बन जाए
जब याद तेरी तडपाये
बरसे तेरी ज़ुल्फ़ के बादल
दिल हो गया मेरा पागल
यूँ ढूँढू तेरा आँचल
जैसे कोई प्रेमी पानी खो जाए
जब तेरी याद तडपाये
रातों को नींद न आये
Friday, January 15, 2010
ग़ज़ल
देखते ही देखते कैसे दिल बे इख्तियार हो गया
पता ही नहीं चला कैसे उनसे प्यार हो गया
एकतरफा दिल धड़का था मेरा उनके लिए
इश्क एक जज्बा था मेरा उनके लिए
कैसे हम कहें अपनी बेकरारी का सबब उनसे
अब एक पल मेरा उनके बगैर जीना दुश्वार हो गया
देखते ही देखते कैसे दिल .............................
पता ही नहीं चला हमें .................................
मालूम है हमको खुदी स ये प्यार नहीं एक छलावा है
यह दिलों का सच्चा मिलाप नहीं बस एक दिखावा है
महबूब स मिलने दिल-इ-फनकार उनसे
बेचैनिये आगोश अब मेरा जीना मोहाल हो गया
देखते ही देखते कैसे दिल .........................
पता ही नहीं चला हमें ..........................
पता ही नहीं चला कैसे उनसे प्यार हो गया
एकतरफा दिल धड़का था मेरा उनके लिए
इश्क एक जज्बा था मेरा उनके लिए
कैसे हम कहें अपनी बेकरारी का सबब उनसे
अब एक पल मेरा उनके बगैर जीना दुश्वार हो गया
देखते ही देखते कैसे दिल .............................
पता ही नहीं चला हमें .................................
मालूम है हमको खुदी स ये प्यार नहीं एक छलावा है
यह दिलों का सच्चा मिलाप नहीं बस एक दिखावा है
महबूब स मिलने दिल-इ-फनकार उनसे
बेचैनिये आगोश अब मेरा जीना मोहाल हो गया
देखते ही देखते कैसे दिल .........................
पता ही नहीं चला हमें ..........................
Monday, January 11, 2010
ग़ज़ल
एक हादसे में चल के
हम तो चले थे संभल के
फिर हो गए किसी के
हालात स फिसल के
वोह नंगे पांव आये
फिर धूप में मचल के
इनकार कैसे करते
मेहमान थे एक पल के
एक संगदिल है पिघला
उल्फत की लौ में जल के
उनका रहा हमेशा
देखा है दिल बदल के
कैसे जुदा करें हम
तुम शेर हो ग़ज़ल के ...
हम तो चले थे संभल के
फिर हो गए किसी के
हालात स फिसल के
वोह नंगे पांव आये
फिर धूप में मचल के
इनकार कैसे करते
मेहमान थे एक पल के
एक संगदिल है पिघला
उल्फत की लौ में जल के
उनका रहा हमेशा
देखा है दिल बदल के
कैसे जुदा करें हम
तुम शेर हो ग़ज़ल के ...
ग़ज़ल
मुद्दतों स चाहा तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे
मुलाकातों का सिलसिला यूँ बरकरार रहे
मोहब्बत का सुरूर यूँ परवाज़ रहे
सदा खिलखिलाती रहे तेरी खुशियों का आँगन
ऐसे ही तेरी ज़िन्दगी खुशगवार रहे
अब इश्क की पनाहों में रहना है तुम्हे
ऐसे ही सदा खिखिलाना वो मुस्कुराना है तुम्हे
मुद्दतों स चाहा है तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे
मुलाकातों का सिलसिला यूँ बरकरार रहे
मोहब्बत का सुरूर यूँ परवाज़ रहे
सदा खिलखिलाती रहे तेरी खुशियों का आँगन
ऐसे ही तेरी ज़िन्दगी खुशगवार रहे
अब इश्क की पनाहों में रहना है तुम्हे
ऐसे ही सदा खिखिलाना वो मुस्कुराना है तुम्हे
मुद्दतों स चाहा है तुम्हे
बड़ी कोशिशों के पाया है तुम्हे
Tuesday, January 5, 2010
अल्फाज़ के झूठे बंधन मैं
राज़ के गहरे पर्दों में
हर शख्स मोहब्बत करता है
हालां के मोहब्बत कुछ भी नहीं
सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
एहसास खाली लोग यहाँ
लफ़्ज़ों के तीर चलाते है
इक बार नज़र में आ कर वो
फिर सारी उम्र रुलाते हैं
ये इश्क मोहबत मैहर -ओ -वफाये
सब कहने की बातें हैं
हर शःक्स खुदी की मस्ती में
बस अपनी खातिर जीता है …
राज़ के गहरे पर्दों में
हर शख्स मोहब्बत करता है
हालां के मोहब्बत कुछ भी नहीं
सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बातें हैं
सब असली रूप छुपाते हैं
एहसास खाली लोग यहाँ
लफ़्ज़ों के तीर चलाते है
इक बार नज़र में आ कर वो
फिर सारी उम्र रुलाते हैं
ये इश्क मोहबत मैहर -ओ -वफाये
सब कहने की बातें हैं
हर शःक्स खुदी की मस्ती में
बस अपनी खातिर जीता है …
Saturday, January 2, 2010
अशार
बहुत रोया हूँ हँसना चाहता हूँ
तेरी आँखों में बसना चाहता हूँ
दरीचे खोल दे सब अपने दिल के
बहुत बे चैन हूँ बरसना चाहता हूँ
अशार
साथ मैं तेरा उम्र भर दूंगा
प्यार ही प्यार तुझ में भर दूंगा
एक इशारा जो तेरा मिल जाए मुझको
साड़ी ज़िन्दगी तेरे नाम कर दूंगा
तेरी आँखों में बसना चाहता हूँ
दरीचे खोल दे सब अपने दिल के
बहुत बे चैन हूँ बरसना चाहता हूँ
अशार
साथ मैं तेरा उम्र भर दूंगा
प्यार ही प्यार तुझ में भर दूंगा
एक इशारा जो तेरा मिल जाए मुझको
साड़ी ज़िन्दगी तेरे नाम कर दूंगा
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