हर एक इंसान को अच्छे रिश्ते अच्छे संस्कार और मेल जोल की ज़रूरत पड़ती है ताकि उसकी दुनयावी लिहाज़ से उसकी सारी ज़रुरियात (आवश्यकता) क़ाबिल ए गौर हो और वो एक अच्छा बाशिंदा (नागरिक) बन कर अपने मुल्क के लिए कुछ कर सके यही एक देशभक्ति है सो इन्सान को चाहिए कि आपसी ताल्लुकात बनाके एक दुसरे को लेकर चले जिससे हर एक कि ज़रुरियात पूरी हो सके और इंशाअल्लाह मेरी यह कोशिश होगी आप और हम पर कोई भी परेशानी आये, हम इससे निबटकर अपने मुल्क की हिफाज़त कर सके - आमीन! (सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा)
Tuesday, March 30, 2010
दीए चाहत के
Saturday, March 20, 2010
ज़ख्मे दिल
Wednesday, March 17, 2010
यादें बस यादें
Tuesday, March 16, 2010
चले आओ तुम आज
Tuesday, March 9, 2010
गीत
Thursday, March 4, 2010
ग़ज़ल
सब्र और ज़ब्त की इन्तेहा हो गयी
सर ज़मीने वतन कर्बला हो गयी ।
दिल लगाने की हम स खता हो गयी
ज़िन्दगी किस कदर बे मज़ा हो गयी ।
जब स बचपन गया और शबाब अगया
साड़ी शोखी शरारत हवा हो गयी ।
सर ज़माने के आगे झुकाना पड़ा
जब नमाज़े मोहब्बत क़ज़ा हो गयी
आज फिर उनकी नज़रों की नज़रें मिली
फिर धनक रंगे दिल की फ़ज़ा हो गयी ।
सब्र और ज़ब्त की इन्तहा हो गयी
सर ज़मीने वतन कर्बला हो गयी